गुरु तेग बहादुर सिंह का इतिहास जन-जन तक पहुंचायें
_शहादत दिवस पर हुआ कीर्तन_
गोंदिया
मुगल सत्ता के समय धर्मांतरण के खिलाफ गुरु तेग बहादुर सिंह निर्भयता से खड़े हुए। उनकी इस धर्मनिष्ठ भूमिका के कारण दिल्ली के चांदनी चौक में उनका मुगलों द्वारा संहार किया गया। उनके इस बलिदान के कारण भारत के इतिहास में सहिष्णुता, धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता का नया अध्याय लिखा गया। ऐसे गुरु तेग बहादुर सिंह साहिब मानवता के शाश्वत प्रेरणास्थान हैं और धर्मरक्षा का प्रतीक हैं। उनका इतिहास जन- जन तक पहुंचायें। ऐसे विचार विधायक संजय पुराम ने व्यक्त किए। हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर सिंह की 350वें शहादत दिवस वर्ष के उपलक्ष्य में देवरी स्थित जिला परिषद हाईस्कूल मैदान पर 16 नवंबर को कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया था। वे इस समय बोल रहे थे। इस अवसर पर महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। आगे पुराम ने कहा कि इतिहास में तपस्या, संयम, वीरता, बलिदान और सेवा की कई घटनाएं रेखांकित हैं। लेकिन गुरु तेग बहादुर धार्मिक स्वतंत्रता और मानवीय गरिमा के लिए दिया गया बलिदान मानव इतिहास का एक अद्वितीय अध्याय है। इस समय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित छत्तीसगढ़ शासन के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा ने गुरु तेग बहादुर सिंह का शहीदी इतिहास प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का आह्वान किया। समाज के सभी नागरिकों ने कीर्तन के साथ लंगर का भी आनंद उठाया। कार्यक्रम की सफलतार्थ गुरुद्वारा गुरु सिंह का सभा, खालसा सेवा दल और स्त्री सत्संग के सभी कार्यकर्ताओं ने प्रयास किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अल्पसंख्यक आयोग छ.ग. शासन अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा, चेयरमैन महाराष्ट्र सरकार सिख समुदाय समिति जसपाल सिंह, सदस्य सुखविंदर सिंह, पंजाबी साहित्य अकादमी बॉम्बे मलकीत सिंह, विर्भ अध्यक्ष गुरमीत सिंह खोखर, मुंबई अल्पसंख्यक आयोग सदस्य हैप्पी सिंह, विदर्भ उपाध्यक्ष परमजीत सिंह भट्टी, गुरु तेग बहादुर 350 शहीदी शताब्दी समागम समिति सचिव प्रीतपाल सिंह भाटिया, सचिव गजेन्द्र सिंह, समाजसेवक जसपाल सिंह चावला, देवरी गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा अध्यक्ष परमजीत सिंह भाटिया की विशेष उपस्थिति थी। इन सभी गणमान्य व्यक्तियों को गुरुद्वारा गुरसिंग सभा देवरी की ओर से सत्कार किया गया।

